प्रेम बूंद लेखनी कविता -03-Jul-2022
प्रेम बूंद
कहना था क्या, क्या कह दिया
सोचा था क्या, क्या हो गया
थी कुछ दिनों की नजदीकियां |2|
कुछ पलों में ही विरह हुआ।
रूठी हो तुम, कैसे मनाऊं मैं
रो रही हो तुम, कैसे मुस्काऊं मैं
तुम बिन मुझे कुछ भाए न |2|
जहां जाऊं तुमको ही पाऊं मैं।
जो था दिल में वो कह दिया
अब इस दिल में कुछ नहीं बचा
तुमसे कुछ छिपाऊं भी क्या |2|
ये दिल तुम्हीं को दे दिया|
है दिल में दर्द, जताती नहीं
है आंखों में आंसू, बहाती नहीं
करती है कोशिश मुस्कराने की |2|
अपना गम किसी को बताती नहीं।
#प्रतियोगिता हेतु
Pallavi
05-Jul-2022 03:13 PM
बहुत खूब
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Swati chourasia
04-Jul-2022 08:22 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌👌
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Gunjan Kamal
03-Jul-2022 10:40 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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